इसी दिन ही पांडव अपना 13 वर्ष का वनवास पूरा करके वापिस अपने राज्य लोटे थे। पांडवों के सकुशल वापिस लौटने की ख़ुशी में राज्य के लोगों ने मिट्टी के दिए जलाकर ख़ुशी मनाई थी।
माँ काली का शांत होना
जब माँ काली ने असुरों का संहार किया था और सभी असुर भी मार दिए थे तब भी माँ काली का गुस्सा शांत नहीं हुआ और वह तांडव करते हुए संपूर्ण ब्रह्मांड में विचरते हुए सब कुछ तबाह किये जा रहे थे। तब उनका गुस्सा शांत करने के लिए देवताओं ने शंकर जी से गुहार लगाई। शंकर जी माता के रास्ते में लेट गए और माता का पैर उनपर आ गया ,तब माता ने जब देखा की शंकर जी उनके पैर के नीचे है , तब काली माँ का तांडव समाप्त हुआ और उन्होंने शंकर जी से क्षमा मांगी। देवताओं के अत्याचार से मुक्ति मिलने के कारण और काली माँ के शांत होने के कारण तब देवताओं ने दीप जलाये थे।
इन कुछ कारणों/मान्यतायों के कारण हिन्दू धर्म में दिवाली का त्यौहार बहुत ही ख़ुशी और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
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