नरक चौदस मनाने की मान्यता (Why Narak Chaturdashi Is Celebrated In Hindi)

दोस्तों पिछली post में आप सभी ने जाना की दीवली के त्यौहार के प्रथम दिन यानी की दीपावली से दो दिन पहले धनतेरस क्यों मनाई जाती है और अब बात करते है दिवाली के दूसरे दिन की यानी की दिवाली से एक दिन पहले जिसे नरक चतुर्दशी कहा जाता है। इस Post में जानते है कि नरक चतुर्दशी क्यों मनाई जाती है ? लेकिन यह जानने से पहले कि नरक चतुर्दशी क्यों मनाई जाती है इसके बारे में कुछ अन्य बातें जान लेते है।


नरक चतुर्दशी कब मनाई जाती है 


नरक चतुर्दशी दीपावली के त्यौहार का दूसरा दिन यानी कि दीपावली से पिछले दिन होती है। यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है।


नरक चतुर्दशी को अन्य किन नामों से जाना जाता है 


नरक चतुर्दशी को नरक चौदस , रूप चौदस तथा नरक पूजा के नामों से भी जाना जाता है। इसे छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है। 


नरक चौदस क्यों मनाई जाती है ?



आईये अब जानते है कि नरक चौदस क्यों मनाई जाती है ,इसको मनाने में क्या क्या मान्यतायें है -


 नरकासुर वध 


इसी दिन यानी की कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भगवान श्री कृष्ण जी ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था तथा उसकी क़ैद से सोलह हज़ार एक सौ (16,100) कन्यायों को मुक्त था। क्योंकि नरकासुर राक्षस देवतायों को बहुत परेशान करता था इसीलिए इसके वध के बाद उन्होंने ख़ुशी मनाई और उन्होंने दीप भी जलाये। इसीलिए इस दिन को भी बहुत से लोग दीपावली के रूप में मनाते है तथा इस दिन को 'छोटी दिवाली' भी कहा जाता है।


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रन्तिदेवी राजा 


नरक चौदस के बारे में एक अन्य कथा प्रचलित है। रन्तिदेवी नाम के राजा थे वह हमेशा अपनी प्रजा के हित के बारे में ही सोचते थे तथा दान-पुण्य करते रहते थे। उनके द्वार से कोई भी ब्राह्मण खाली हाथ न जाता था। लेकिन जब राजा की मृत्यु हुयी जब उन्हें यमराज के दूत ले गए तब उसे वह नरक में ले गए। राजा ने यमदूतों से पूछा कृपा एक बात बताईये ,"मैंने आजतक कोई भी बुरा कार्य नहीं किया और न ही किसी ब्राह्मण को खाली हाथ जाने दिया लेकिन फिर भी मुझे नरक में क्यों लाया गया।" 


यमदूत बोले ,"राजन तुमने कभी भी कोई बुरा कार्य नहीं किया हम जानते है ,लेकिन एक बार तुम्हारे द्वार से एक ब्राह्मण जोकि बहुत भूखा था वह खाली ही लौट गया था। यह उसी पाप का फल है कि तुम नरक में लाये गए। 


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राजा ने यमदूतों से प्राथना की कि उनकी उम्र को वह एक साल के लिए बढ़ा दे। क्योंकि राजा पुण्यात्मा था  इसलिए यमदूतों ने भी राजा की बात मान ली। 


राजा की आत्मा जब वापिस शरीर में आयी तो राजा ऋषियों के पास गया और उनको सब बात बता दी।  ऋषियों ने कहा कि,"राजन तुम कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को व्रत रखना तथा ब्राह्मणों को भोजन कराकर उनसे अपने अपराध की क्षमा माँगना तब तुम इस पाप से मुक्त हो जाओगे।


राजा ने ऐसा ही किया और फिर राजा को देह त्याग के बाद वैकुण्ठ धाम में जगह मिली।
 
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हनुमान जी का जन्म 


एक अन्य मान्यता के अनुसार ऐसा भी माना जाता है कि इसी दिन अंजना माता ने हनुमान जी को जन्म दिया था।इस प्रकार इस दिन हनुमान जी की पूजा का विधान भी है। लोग हनुमान जी के मंदिर जाकर उनसे कष्टों से मुक्ति मांगते है।


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हनुमान जयंती की इस तिथि का उल्लेख वाल्मीकि रामायण में मिलता है। इस प्रकार हनुमान जयंती की दो तिथिया मानी जाती है ,प्रथम चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा और दूसरी यह कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी। 


हिरण्यगर्भ राज्य के योगी 


एक अन्य कथा यह भी है कि हिण्यगर्भ नाम के राज्य में एक योगी रहते थे। उन्होंने ईश्वर की आराधना के लिए कठोर तपस्या शुरू कर दी।  लेकिन अभी कुछ ही दिन बीते थे कि उनके शरीर में कीड़े पड़ गए।  जिससे वह बहुत दुखी हुए। आकाश से उस वक्त वहा से नारद जी भी गुजर रहे थे जब उन्होंने योगिराज को दुखी देखा तो वह उनके पास आये और दुःख का कारण पूछा। योगी जी ने अपने दुःख का कारण बताया।  नारद जी ने अपनी दिव्य दृष्टि से जानकार बताया कि आपने देह आचार का सही ढंग से पालन नहीं किया इसलिए आपकी यह दशा हुयी है।


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योगी जी ने इससे मुक्ति पाने के लिए नारद जी से इसका उपाय पूछा। 


नारद जी ने कहा कि आपको कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को व्रत रखकर भगवान को याद करके अपने पाप के लिए क्षमा मांगे तो आपकी देह ठीक हो जायेगी। 


योगी जी ने ऐसा ही किया और उनकी देह फिर से पहले की तरह सही हो गयी।


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नाम कैसे पड़ा ?


मान्यता अनुसार इस दिन के पूजन से नरक छूट जाता है और यह चतुर्दश का दिन होता है इसलिए नरक चतुर्दश और नरक चतुर्दशी नाम से यह त्यौहार मनाया जाता है।


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हिरण्यगर्भ योगी को इस दिन उपासना करने से रूप की प्राप्ति हुई थी,इसलिए इस दिन को रूप चतुर्दश के नाम से भी जाना जाता है।


तो दोस्तों आपको यह जानकारी नरक चतुर्दशी क्यों मनायी जाती है कैसी लगी। नरक चतुर्दशी को मनाने के लिए कुछ अन्य मान्यतायें भी है, अगर आप कोई अन्य मान्यता के बारे में जानते है और चाहते है कि अन्य लोगों को भी उसके बारे में पता लगा तो comment करके या E-mail करके हमें जरूर बताये।

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